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डायन प्रथा रोकथाम हेतु जागरुकता सेमीनार आयोजित

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Published on : 19 Jan, 17 09:01
उदयपुर/ डायन प्रथा की रोकथाम को लेकर जागरुकता पैदा करने हेतु महिला अधिकारिता विभाग की ओर से गुरुवार को ओटीसी सभागार में एक दिवसीय सेमीनार आयोजित किया गया। सेमीनार में विभिन्न विभागों के प्रतिभागियों ने भाग लिया जिन्हे राजस्थान डायन – प्रताड़ना निवारण अधिनियम -2015 एवं राजस्थान डायन – प्रताड़ना निवारण नियम -2016 के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। ये प्रतिभागी नवीनतम जानकारी के साथ जमीनीस्तर पर जागरुकता पैदा करने का कार्य करेंगे। मुख्य अतिथि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव लोकेश शर्मा ने पीडि़त प्रतिकर स्कीम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पीडि़ता के पुनर्वास हेतु 1 लाख तक की सहायता प्रदान की जा सकती है। इसके अलावा अन्य कानूनी पहलुओं पर भी उन्होने प्रकाश डाला। पार्टनर्स फॉर लॉ एंड डवलपमेंट की रचना ने मुख्य वक्ता के रुप में संबोधित करते हुए किसी महिला को डायन कहकर प्रताडि़त करने, डायन के इलाज का दावा करने, इलाज करने या करवाने पर नियमानुसार दी जाने वाली सजा एवं जुर्माने के बारे में बताया। प्रताडि़त महिला को राहत प्रदान करने एवं उसके पुनर्वास हेतु नियमों में किए गए प्रावधान की विस्तार से जानकारी दी। उन्होने बताया कि प्रताडि़त करने वालों पर कारित किए गए जुर्माने की राशि का साठ प्रतिशत हिस्सा पीडि़ता को मुआवजे के अतिरिक्त प्रदान किया जाता है। सेमानार में पिछले कुछ वर्षों में हुए डायन प्रकरणों के बारे में चर्चा की गई। उक्त प्रकरणों में की गई कार्रवाई एवं पीडि़तों के पुनर्वास हेतु किए गए कार्यों की विवेचना की गई। डिप्टी एसपी माधुरी वर्मा, अशोक कुमार मीणा नायब तहसीलदार प्रताप सिंह, बाल अधिकारिता की एआईडीपीओ मीना शर्मा, एबीईईओ यशोदा दशोरा व लच्छीराम गुर्जर, विभिन्न विद्यालयों के प्रिंसिपल, जिले भर के सीडीपीओ, श्रम विभाग, एंटी ह्यूमन ट्रेफिकिंग यूनिट तथा विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।